Posts

Dhanteras

Image
⛳"धन तेरस" ⛳ ⤵ धन तेरस कार्तिक कृष्णपक्ष की तेरस यानी दीपावली से दो रोज पहले आती है। धनतेरस के दिन देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेरदेव तथा दीपावली पर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।ऐसा माना जाता है कि धनतेरस व दीपावली के दिन किया गया दान, हवन, पूजन व उपायों का फल अक्षय (संपूर्ण) होता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार, अगर इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं या कुछ विशेष वस्तुओं को घर में रखा जाए तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उपाय करने वाले को मालामाल भी कर सकती हैं। 🔹"धन तेरस के फायदे" ⤵ लोक वेद के अनुसार:- ऐसा माना जाता है कि धनतेरस के दिन यदि आप चीनी, बताशा, खीर, चावल, सफेद कपड़ा आदि अन्य सफेद वस्तुएं दान करते हैं, तो आपको धन की कमी नहीं होगी। जमा पूंजी बढ़ने के साथ ही कार्यों में आ रहीं बाधाएं भी दूर होंगी। इस दिन किसी किन्नर को अवश्य दान दें और उससे एक सिक्का मांग लें। यदि किन्नर आपको वो सिक्का खुशी से दे, तो बहुत अच्छा यानी बहुत फायदेमंद रहता है। "धनतेरस की पूजा विधि":-⤵ सबसे पहले मिट्टी का हाथी और धन्वंतरि भगवानजी की फोटो स्थापित करें। चांदी...

"Life struggle of Sant Rampal Ji Maharaj"

Image
♻ "संत रामपाल जी महाराज के आध्यात्मिक ज्ञान की संघर्ष यात्रा" ♻ ⤵ 🔹संत रामपाल जी महाराज जी की जीवनी ⤵ संत रामपाल जी का जन्म 8 सितम्बर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में एक किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करके हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजिनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988 में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की तथा तन-मन से सक्रिय होकर स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए भक्ति मार्ग से साधना की तथा परमात्मा का साक्षात्कार किया। संत रामपाल जी को नाम दीक्षा 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात्राी में प्राप्त हुई। उस समय संत रामपाल जी महाराज की आयु 37 वर्ष थी। उपदेश दिवस (दीक्षा दिवस) को संतमत में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है। उपरोक्त विवरण श्री नास्त्रोदमस जी की उस भविष्यवाणी से पूर्ण मेल खाता है जो पृष्ठ संख्या 44.45 पर लिखी है। ”जिस समय उस तत्वदृष्टा शायरन का आध्यात्मिक जन्म होगा उस दिन अंधेरी अमावस्या होगी। उस समय उस विश्व नेता की आयु 16, 20, 25 वर्ष नहीं होगी, वह तरुण नहीं होगा, बल्कि वह प्रौढ़ होगा...

Navratri Puja ...

Image
🙏 नवरात्रि पूजा 🙏 🔹 क्या है नवरात्रि ? 👉नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है।  दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। 🔹नवरात्रों में लोग दुर्गा जी की पूजा तो बहुत करते हैं।  👉लेकिन दुर्गा जी के बारे में असली जानकारी किसी को नहीं ! ♻️ माता दुर्गा की संपूर्ण जानकारी:- ♻️दुर्गा जी का पति कौन है, वो किसके नाम का सिंदूर लगाती है? 🎊 *जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी* बताते हैं :- 🔹 मां दुर्गा का पति काल ब्रह्म(ज्योति निरंजन) है जो गुप्त रहता है।  ♻️ त्रिदेवजनननी है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश की माता है। ♻️जो भी नवरात्रों में या अन्य व्रत रखते हैं उसका गीता जी में कहीं प्रमाण नहीं है। गीता जी में व्रत मनमाना आचरण बताया है। 🔸दुर्गा जी की भक्ति मोक्षदायक नहीं है। देवी हमारे पाप नहीं काट सकती। ♻️नवरात्रों में कुछ जगह पर दुर्गा जी के लिए बलि भी चढ़ाई जाती है ...

Importance of Education...

Image
📙*"शिक्षा का महत्व"*📙⤵ 🔹शिक्षा का महत्व और इसके फ़ायदे (Importance of Education and Its Advantages) "उच्च शिक्षा" ⤵ 👉शिक्षा एक ऐसा सूरज है जो अपना प्रकाश मनुष्य पर डालता है। और इससे प्रवर्तित किरणें न केवल परिवार, समाज, देश बल्कि सारी दुनियाँ को चमकती है। शिक्षा मनुष्य के अंदर एक ऐसा इत्र है जो अपनी खुशबु से समाज को सुगन्धित करती रहती है। शिक्षा हमें जीवन जीने की उच्चतम शैली सिखलाती है। यह मनुष्य में अच्छे चरित्र का निर्माण करती है। 👉लोगों कहना है कि- "शिक्षा के बिना मनुष्य पशु के समान है" • शिक्षित मनुष्य ही डॉक्टर, इंजीनियर, पॉयलट, वकील और अच्छा बिजनेस मैन आदि बन सकता है। पढ़ा-लिखा इंसान किसी भी काम को बहुत ही अच्छे ढंग से कर सकता है। कहते हैं पढ़ा लिखा इंसान कभी भूखे नहीं रह सकता। किसी ने क्या ख़ूब कहा है।⤵ “कोई बे इल्म रोटी खा नहीं सकता कभी भी सैर हो कर!         चाहे बाज़ीगर हो आहंगर हो या हो कोई सौदागर “!! इसका मतलब यह है कि जो लोग बे इल्म हैं यानि पढ़े लिखे नहीं हैं वो कभी भी पेट भर कर सकून की रोटी नहीं खा सकते। चाहे कोई बाज़ीगर हो...

Janmashtami

Image
"जन्माष्टमी" 👇 🎊 जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी प्रमाणित कर के बताते हैं:-👇 🏮तीन लोक के भगवान श्री कृष्ण जी के ऊपर भी कोई परम शक्ति है। प्रमाण:-कबीर साहेब की वाणी⤵ कबीर, जिन राम, कृष्ण, निरंजन किया, सो तो करता न्यार। अंधा ज्ञान न बूझई, कहै कबीर बिचार।। कौन है वो करतार जिन्होंने कृष्ण जी को भी उत्पन्न किया? 👉कृष्ण जी ने एक मुठ्ठी चावल के बदले सुदामा का महल बनाया और परमेश्वर कबीर साहिब ने एक रोटी के बदले तैमूरलंग को सात पीढ़ी का राज दे दिया। 🔹 संपूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान गुरू बनाकर सत्संग सुनने से ही होता है। इसीलिए 👉राम तथा श्री कृष्ण जी ने भी गुरू बनाकर अपनी भक्ति की, मानव जीवन सार्थक किया। इससे सहज में ज्ञान हो जाना चाहिए कि अन्य व्यक्ति यदि गुरू के बिना भक्ति करता है तो कितना सही है? अर्थात् व्यर्थ है। 👉मीरा बाई ने जब पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी का सत्संग सुना तो उनसे नाम दीक्षा लेकर आजीवन उनकी भक्ति की। 👉प्रमाण सहित अधिक जानकारी के लिए देखें-रोज "तत्वज्ञान का सत्संग" साधना TV पर शाम 07:30 से 08:30 बजे तक।

Bible..

Image
📖*"Bible"*📖 ⤵ 🔸पवित्र बाइबल में भगवान का नाम कबीर है - अय्यूब 36:5, यहां स्पष्ट है कि कबीर ही शक्तिशाली परमात्मा है। 👉अय्यूब 36:5 (और्थोडौक्स यहूदी बाइबल - OJB) परमेश्वर कबीर (शक्तिशाली) है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता है। परमेश्वर कबीर (सामर्थी) है और विवेकपूर्ण है। 👉पवित्र बाइबिल (उत्पत्ति ग्रंथ) में लिखा है कि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया। इससे सिद्ध है कि प्रभु भी मनुष्य जैसे शरीर युक्त है तथा छः दिन में सृष्टी रचना करके सातवें दिन तख्त पर जा विराजा। 👉प्रमाण सहित और अधिक जानकारी के लिए पढ़ें-पवित्र पुस्तक 📙"ज्ञान गंगा" इस पवित्र पुस्तक को आप हमारी वेबसाइट www.Jagatgururampalji.org से नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते हो!

Secret Knowledge Of Gita...

Image
🎋 "गीता सार"👇 गीता जी अ .11 श्लोक 21 व 46 में अर्जुन कह रहा है कि भगवन् ! आप तो ऋषियों, देवताओं तथा सिद्धों को भी खा रहे हो, जो आप का ही गुणगान कर रहे हैं। हे सहस्त्राबाहु अर्थात् हजार भुजा वाले भगवान ! आप अपने उसी चतुर्भुज रूप में आईये। मैं आपके विकराल रूप को देखकर धीरज नहीं कर पा रहा हूँ । अध्याय 11 श्लोक 32 में पवित्र गीता बोलने वाला प्रभु कह रहा है कि ‘अर्जुन मैं बढ़ा हुआ काल हूँ। अब सर्व लोकों को खाने के लिए प्रकट हुआ हूँ।‘   पवित्र गीता जी के ज्ञान को यदि श्री कृष्ण जी बोल रहे होते तो यह नहीं कहते कि अब प्रकट हुआ हूँ। गीता जी अ.11 श्लोक 47 में पवित्र गीता जी को बोलने वाला प्रभु काल कह रहा है कि ‘हे अर्जुन यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था। श्री कृष्ण जी काल नहीं थे, उनके दर्शन मात्र से मनुष्य, पशु (गाय आदि) प्रसन्न होकर श्री कृष्ण जी के पास आकर प्यार पाते थे। गीता ज्ञान दाता अर्जुन से कह रहा है कि अर्जुन मेरी शरण में रहेगा तो भक्ति भी करनी होगी और युद्ध भी करना होगा अगर इस लोक से छुटकारा चाहते हो और पूर्ण...