"नशा मनुष्य जीवन को बर्बाद करने की मूल जड़ है"।

नशा मनुष्य जीवन का नाश कर देता है इसको त्यागने में ही सबका हित है...संत गरीबदास जी अपनी वाणी में कहते है-
सुरापान मद्य मांसाहारी, गवन करे भोगे पर नारी।
सत्तर जन्म कटत हैं शीशम, साक्षी साहिब हैं जगदीशम।।
सुरापान व मांस आदि खाने का अंजाम जब इतना बुरा है तो इससे त्यागने में ही भलाई है।
💦 नशा सर्वप्रथम तो इंसान को शैतान बनाता है फिर शरीर का नाश करता है। शरीर के चार महत्वपूर्ण अंग हैं फेफड़े, लीवर, गुर्दे, हृदय। शराब सबसे प्रथम इन चारों अंगों को खराब करती है। इन सब से निजात पाने के लिए संत रामपाल जी महाराज के "तत्वज्ञान" का सत्संग अवश्य सुनें।

Comments

Popular posts from this blog

मांस खाना और जीव हिंसा करना महा पाप है।

"Life struggle of Sant Rampal Ji Maharaj"

DivinePlay Of Kabir Saheb..