मांस खाना और जीव हिंसा करना महा पाप है।
🔅कबीर-माँस भखै औ मद पिये, धन वेश्या सों खाय।
जुआ खेलि चोरी करै, अंत समूला जाय।।
जो व्यक्ति माँस भक्षण करते हैं, शराब पीते हैं, वैश्यावृति करते हैं। जुआ खेलते हैं तथा चोरी करते हैं वह तो महापाप के भागी हैं। जो व्यक्ति मांस खाते हैं वे नरक के भागी हैं।
कबीर-यह कूकर को भक्ष है, मनुष देह क्यों खाय।
मुखमें आमिख मेलिके, नरक परंगे जाय।।
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